भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ओझौती जारी है / विहाग वैभव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार= विहाग वैभव | |रचनाकार= विहाग वैभव | ||
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
− | |संग्रह=मोर्चे पर विदागीत / विहाग वैभव | + | |संग्रह=मोर्चे पर विदागीत (संग्रह) / विहाग वैभव |
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} |
18:42, 9 दिसम्बर 2023 के समय का अवतरण
तपते तवे पर डिग्रियाँ रखकर
जवान लड़के जोर से चिल्लाए — रोज़गार
बिखरे चेहरे वाली अधनंगी लड़की ने
हवा में ख़ून सनी सलवार लहराई बदहवास
और रोकर चीख़ी — न्याय
मोहर लगे बोरे को लालच से देख
हँसिया जड़े हाथों को जोड़
किसान गिड़गिड़ाए — अ.. अ..अन्न
उस सफ़ेद कुर्ते वाले मोटे आदमी ने
योजना भर राख दे मारी इनके मुँह पर
और मुस्कुराकर कहा — भभूत ।