भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अख़बार उदास है / निरुपमा दत्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निरुपमा दत्त |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:26, 24 जनवरी 2024 के समय का अवतरण
सुबह की चाय के साथ
कल पाठकों का
नया दिन शुरू करने के लिए
सामग्री परोसनी है पठनीय
लेकिन आज कुछ घट नहीं रहा दुनिया में
शोक समाचार पहले से तैयार है
लेकिन पिछले तीन महीने से बीमार
वयोवृद्ध नेता
मशीनों के सहारे
आज फिर मरते-मरते बचे
थाने से
न हत्या की कोई ख़बर है
और न ही आत्महत्या की
किसी हरिजन लड़की से
बलात्कार भी नहीं हुआ
झोपड़ियों में कहीं आग भी नहीं लगी
दिन बीत रहा है
कहीं कोई हड़ताल नहीं
कहीं जाँच-पड़ताल नहीं
आज उदास है अख़बार ।
पंजाबी से हिन्दी में अनुवाद : फूलचन्द मानव