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"न कर इश्क इनसे दगा देंगे तारे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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अँधेरे में ही टिमटिमाते हैं ये सब, | अँधेरे में ही टिमटिमाते हैं ये सब, | ||
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बड़ी दूर हैं इनसे आशा न कर कुछ, | बड़ी दूर हैं इनसे आशा न कर कुछ, | ||
− | हैं | + | हैं ख़ुद दिलजले तुझको क्या देंगे तारे। |
हैं कबसे हैं कितने न जाने ये कोई, | हैं कबसे हैं कितने न जाने ये कोई, |
13:00, 26 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण
न कर इश्क़ इनसे दगा देंगे तारे।
अगर पास आए जला देंगे तारे।
अँधेरे में ही टिमटिमाते हैं ये सब,
उजाले में ख़ुद को छिपा देंगे तारे।
बड़ी दूर हैं इनसे आशा न कर कुछ,
हैं ख़ुद दिलजले तुझको क्या देंगे तारे।
हैं कबसे हैं कितने न जाने ये कोई,
न कर इनकी गिनती पका देंगे तारे।
मरेंगे तो दिक्काल में छेद होगा,
जिसे भी छुएँगें मिटा देंगे तारे।