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"हे साँझ मैया ! / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर
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10:19, 20 अप्रैल 2024 के समय का अवतरण
शंख फूँका साँझ का तुमने
जलाया आरती का दीप
आँचल को उठाकर
बहुत धीमे
और धीमे
माथ से अपने लगाकर
सुगबुगाते होंठ से इतना कहा –
हे साँझ मैया…
और इतने में कहा माँ ने –
बड़का आ गया
बहन बोली : आ गए भइया ।
और तुमने
गहगहाई साँझ में
फूले हुए मन को सम्भाले
हाथ जोड़े,
फिर कहा…
हे… साँझ… मैया…