भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रात कटी गिन तारा तारा / शिव कुमार बटालवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव कुमार बटालवी |अनुवादक=आकाश ’अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

09:33, 7 मई 2024 के समय का अवतरण

रात कटी गिन तारा तारा
हुआ है दिल का दर्द सहारा

रात फुँका मिरा सीना ऐसा
पार अर्श के गया शरारा

आँखें हो गईं आँसू आँसू
दिल का शीशा पारा-पारा

अब तो मेरे दो ही साथी
इक आह और इक आँसू खारा

मैं बुझते दीपक का धुआँ हूँ
कैसे करूँ तिरा रौशन द्वारा

मरना चाहा मौत न आई
मौत भी मुझ को दे गई लारा

छोड़ न मेरी नब्ज़ मसीहा
बाद में ग़म का कौन सहारा

मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : आकाश ’अर्श’