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"काली आग / हरभजन सिंह / गगन गिल" के अवतरणों में अंतर

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18:40, 26 मई 2024 के समय का अवतरण

यह काली आग का दरिया
मेरे घर आ बैठा है

ले आया है अपने साथ बहाकर
चटखे हुए पर्वत की फाँकें
कतरे हुए सूरज की कतरनें
काली पुरानी मिट्टी का
आग के जंगल में से गुज़रा एक काफ़िला

जलता सुलगता
चीख़ता चिंघाड़ता
बैठ गया है मेरी दहलीज़ों पर आकर ।

पंजाबी से अनुवाद : गगन गिल