भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नेहरू जी की अंतिम यात्रा पर / कैफ़ी आज़मी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैफ़ी आज़मी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:18, 27 मई 2024 के समय का अवतरण

मेरी आवाज़ सुनो, प्यार का राग सुनो
मेरी आवाज़ सुनो ।

क्यों संवारी है ये चन्दन की चिता मेरे लिए
मैं कोई जिस्म नहीं हूँ कि जलाओगे मुझे
राख के साथ बिखर जाऊँ मैं दुनिया में
तुम जहाँ खाओगे ठोकर वहीं पाओगे मुझे
हर क़दम पर है नए मोड़ का आगाज़ सुनो

मेरी आवाज़ सुनो प्यार का राज सुनो
मेरी आवाज़ सुनो ।

मैंने एक फूल जो सीने पे सजाया था
उसके परदे में तुम्हें दिल से लगा रखा था
है जुदा सबसे मेरे इश्क का अन्दाज़ सुनो
मेरी आवाज़ सुनो प्यार का राग सुनो
मेरी आवाज़ सुनो ।