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"भाग चले सब / विष्णुकांत पांडेय" के अवतरणों में अंतर

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17:08, 9 जून 2024 के समय का अवतरण

रेंक - रेंक कर गदहा बोला —
चलो, चलें घर, यार !
भूखा हूँ, खाने दो जीभर —
बोला चतुर सियार ।

घड़ी देखकर भालू बोला —
बीत गई अब रात,
भाग गए वन को सबके सब
भली लगी यह बात ।