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"कवि / राजेश अरोड़ा" के अवतरणों में अंतर

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20:39, 27 जुलाई 2024 के समय का अवतरण

सूरज! बहुत आग है तुम में
और मैं नहीं चाहता सूरज होना
क्योंकि झुलस जायेंगे
पंछियों के पंख
मैं बादल ही भला
भिगो दूँ सब को बाहर भीतर