भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
एक नदी, दो-तीन देश, कुछ नारियाँ —
यह सब हैं मेरे पुराने पोशाकमेरी पुरानी पोशाकें, बहुत प्रिय थेथीं, अब शरीर मेंतंग हो कसने लगे लगी हैं, नहीं शोभते शोभतीं अब
तुम्हें दिया, नवीन किशोर, मन हो तो अंग लगाओ
या घृणा से फेंक दो दूर, जैसी मरज़ी तुम्हारी
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,669
edits