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"दुआओं की दास्तां / विश्राम राठोड़" के अवतरणों में अंतर

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20:58, 19 सितम्बर 2024 के समय का अवतरण

है गरीब तु भी उस मालिक के नीचे अमीरी का नशा न कर
मेरे मालिक ने तेरी भी उम्र लिखी तु भी कभी हंसा लिया कर
ये गरीबों की ज़िन्दगी में नहीं आयेगें शोहरत झमेले
तु तो अमीर है कभी गरीबों की ज़िन्दगी के लिए भी दुआ कर लिया कर
मैं भी तब तक अमीर हुं, जब तक तु गरीबों के लिए दुआ कर
हर दुआ उनके लिए भी अंजुमन होगी
वेश
वाबस्ता का पहन कर तु भी आ जाया कर

फुटपाथ जैसे है उनकी ज़िन्दगी, उन्हे भी कभी याद कर लिया कर
मालिक उनका भी होता है जो महलों में रहते
इन गरीबों के लिए तु बस मसीहा बन जाया कर