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"सच का स्वार्थ / विश्राम राठोड़" के अवतरणों में अंतर

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20:59, 19 सितम्बर 2024 के समय का अवतरण

हमें हमारी तस्वीरों में
ऐसी कहानियाँ छा ने
लगी है

छा जाता है कोहरा
मिटाने के लिए
धूप आने लगी है

धूं जैसा जलता
अगर पडो़सी का घर
तो चुप

अपना ही घर जलता
तो राख
नज़र आने लगी