भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक कविता समारोह में / नजवान दरविश / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नजवान दरविश |अनुवादक=मंगलेश डबरा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
04:06, 10 नवम्बर 2024 के समय का अवतरण
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
हरेक कवि के सामने है उसके वतन का नाम
मेरे नाम के पीछे यरूशलम के अलावा कुछ नहीं है
कितना डरावना है तुम्हारा नाम, मेरे छोटे से वतन
नाम के अलावा
तुम्हारा कुछ भी नहीं बचा मेरी खातिर
मैं उसी में सोता हूँ, उसी में जागता हूँ
वह एक नाव का नाम है
जिसके पहुँचने या लौटने की
कोई उम्मीद नहीं ।
वह न पहुँचती है और न लौटती है
वह न पहुँचती है और न डूबती है ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल