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"जाने क्या दुश्मनी है शाम के साथ / 'अना' क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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दिल भी टूटा पड़ा है जाम के साथ | दिल भी टूटा पड़ा है जाम के साथ | ||
− | लफ़्ज़ होने लगे हैं | + | लफ़्ज़ होने लगे हैं सफ़ बस्ता |
− | कौन उलझा ख़्याले-ख़ाम | + | कौन उलझा ख़्याले-ख़ाम साथ |
काम की बात बस नहीं होती | काम की बात बस नहीं होती | ||
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कितना टूटा हुआ हूं अन्दर से | कितना टूटा हुआ हूं अन्दर से | ||
− | फिर कमर झुक | + | फिर कमर झुक गई सलाम के साथ |
− | बज़्म | + | बज़्म बढ़े ये नामुमकिन |
− | मुक्तदी | + | मुक्तदी उठ गये इमाम के साथ |
इन्क़लाब अब नहीं है थमने का | इन्क़लाब अब नहीं है थमने का | ||
शाहज़ादे भी हैं गुलाम के साथ | शाहज़ादे भी हैं गुलाम के साथ | ||
− | बेतकल्लुफ़ बहस हों मकतब | + | बेतकल्लुफ़ बहस हों मकतब में |
इल्म घटता है एहतराम के साथ | इल्म घटता है एहतराम के साथ | ||
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19:22, 30 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण
जाने क्या दुश्मनी है शाम के साथ
दिल भी टूटा पड़ा है जाम के साथ
लफ़्ज़ होने लगे हैं सफ़ बस्ता
कौन उलझा ख़्याले-ख़ाम साथ
काम की बात बस नहीं होती
रोज़ मिलते हैं एहतमाम के साथ
कितना टूटा हुआ हूं अन्दर से
फिर कमर झुक गई सलाम के साथ
बज़्म बढ़े ये नामुमकिन
मुक्तदी उठ गये इमाम के साथ
इन्क़लाब अब नहीं है थमने का
शाहज़ादे भी हैं गुलाम के साथ
बेतकल्लुफ़ बहस हों मकतब में
इल्म घटता है एहतराम के साथ
शब्दार्थ
<references/>