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"खैंची लबों ने आह कि सीने पे आया हाथ / 'अना' क़ासमी" के अवतरणों में अंतर

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महफ़िल में यूँ भी बारहा उसने मिलाया हाथ ।
 
महफ़िल में यूँ भी बारहा उसने मिलाया हाथ ।
लहजा था ना-शनास<ref>अपरिचित</ref> मगर मुस्कुराया हाथ ।
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लहजा था ना-शनास मगर मुस्कुराया हाथ ।
  
 
फूलों में उसकी साँस की आहट सुनाई दी,
 
फूलों में उसकी साँस की आहट सुनाई दी,
बादे सबा<ref>सुबह की ख़ुशबूदार हवा</ref> ने चुपके से आकर दबाया हाथ ।
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बादे सबा ने चुपके से आकर दबाया हाथ ।
  
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यूं ज़िन्दगी से मेरे मरासिम आज कल,
 
हाथों में जैसे थाम ले कोई पराया हाथ ।
 
हाथों में जैसे थाम ले कोई पराया हाथ ।
  
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अब सब हैं लाजवाब तो मैंने उठाया हाथ ।
 
अब सब हैं लाजवाब तो मैंने उठाया हाथ ।
 
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21:18, 30 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण

खैंची लबों ने आह कि सीने पे आया हाथ ।
बस पर सवार दूर से उसने हिलाया हाथ ।

महफ़िल में यूँ भी बारहा उसने मिलाया हाथ ।
लहजा था ना-शनास मगर मुस्कुराया हाथ ।

फूलों में उसकी साँस की आहट सुनाई दी,
बादे सबा ने चुपके से आकर दबाया हाथ ।

यूं ज़िन्दगी से मेरे मरासिम आज कल,
हाथों में जैसे थाम ले कोई पराया हाथ ।

मैं था ख़मोश जब तो ज़बाँ सबके पास थी,
अब सब हैं लाजवाब तो मैंने उठाया हाथ ।