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"ज़ख़्म महकेंगे तो आहों में असर भी आएगा / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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रफ़्ता-रफ़्ता शेर कहने का हुनर भी आएगा | रफ़्ता-रफ़्ता शेर कहने का हुनर भी आएगा | ||
− | मंज़िलों के ज़िक्र को मिटने न देना | + | मंज़िलों के ज़िक्र को मिटने न देना वायज़ों |
− | हौसले ज़िंदा हैं तो अज़्मे-सफ़र | + | हौसले ज़िंदा हैं तो अज़्मे-सफ़र भी आयेगा |
− | रो पड़ेगी चश्मे- | + | रो पड़ेगी चश्मे-दौरॉ अपना चेहरा देखकर |
− | जब क़लम की | + | जब क़लम की नोक पर ख़ूने जिगर भी आयेगा |
खा रहा हूँ एक मुद्दत से फ़रेबे-ज़िन्दगी | खा रहा हूँ एक मुद्दत से फ़रेबे-ज़िन्दगी | ||
− | सोचना हूँ कोई लम्हा | + | सोचना हूँ कोई लम्हा मोतबर भी आयेगा |
− | ऐ ‘अना’ अपने लिए चुन ले सिराते मुस्तकीम | + | ऐ ‘अना’ अपने लिए चुन ले सिराते मुस्तकीम |
− | हाँ अगर कुछ रास्ता जे़रो-ज़बर | + | हाँ अगर कुछ रास्ता जे़रो-ज़बर भी आयेगा |
जुस्तजू में जिसकी जो है उसका मिलना लाज़मी | जुस्तजू में जिसकी जो है उसका मिलना लाज़मी | ||
ऐ ख़ुदा इक दिन न इक दिन तू नज़र भी आएगा | ऐ ख़ुदा इक दिन न इक दिन तू नज़र भी आएगा | ||
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13:13, 31 दिसम्बर 2024 का अवतरण
ज़ख़्म महकेंगे तो आहों में असर भी आएगा
रफ़्ता-रफ़्ता शेर कहने का हुनर भी आएगा
मंज़िलों के ज़िक्र को मिटने न देना वायज़ों
हौसले ज़िंदा हैं तो अज़्मे-सफ़र भी आयेगा
रो पड़ेगी चश्मे-दौरॉ अपना चेहरा देखकर
जब क़लम की नोक पर ख़ूने जिगर भी आयेगा
खा रहा हूँ एक मुद्दत से फ़रेबे-ज़िन्दगी
सोचना हूँ कोई लम्हा मोतबर भी आयेगा
ऐ ‘अना’ अपने लिए चुन ले सिराते मुस्तकीम
हाँ अगर कुछ रास्ता जे़रो-ज़बर भी आयेगा
जुस्तजू में जिसकी जो है उसका मिलना लाज़मी
ऐ ख़ुदा इक दिन न इक दिन तू नज़र भी आएगा
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