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"मिरी ख़ातिर ये नादानी करोगे / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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− | मिरी ख़ातिर ये नादानी | + | मिरी ख़ातिर ये नादानी करोगे। |
− | तुम अपनी आँख को पानी | + | तुम अपनी आँख को पानी करोगे। |
− | मिरी टोपी की क़ीमत पूछते हो | + | मिरी टोपी की क़ीमत पूछते हो, |
− | मिरे तुम दर की दरबानी | + | मिरे तुम दर की दरबानी करोगे। |
− | उतर कर दिल से खंजर पूछता है | + | उतर कर दिल से खंजर पूछता है, |
− | कहो किसकी सनाख़्वानी | + | कहो किसकी सनाख़्वानी करोगे। |
− | जुनूँ हद से गुज़रता जा रहा है | + | जुनूँ हद से गुज़रता जा रहा है, |
− | तुम अब सहरा में सुलतानी | + | तुम अब सहरा में सुलतानी करोगे। |
− | अदावत में बहुत कुछ कर चुके हो | + | अदावत में बहुत कुछ कर चुके हो, |
− | मुहब्बत में भी मनमानी | + | मुहब्बत में भी मनमानी करोगे। |
− | फलों से शाख अब झुकने लगी है | + | फलों से शाख अब झुकने लगी है, |
− | कहाँ तक तुम निगहबानी | + | कहाँ तक तुम निगहबानी करोगे। |
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13:33, 31 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण
मिरी ख़ातिर ये नादानी करोगे।
तुम अपनी आँख को पानी करोगे।
मिरी टोपी की क़ीमत पूछते हो,
मिरे तुम दर की दरबानी करोगे।
उतर कर दिल से खंजर पूछता है,
कहो किसकी सनाख़्वानी करोगे।
जुनूँ हद से गुज़रता जा रहा है,
तुम अब सहरा में सुलतानी करोगे।
अदावत में बहुत कुछ कर चुके हो,
मुहब्बत में भी मनमानी करोगे।
फलों से शाख अब झुकने लगी है,
कहाँ तक तुम निगहबानी करोगे।