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"उसकी रहमत का इक सहाब उतरे / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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आसमानो से क्यों जवाब उतरे | आसमानो से क्यों जवाब उतरे | ||
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झील में जैसे माहताब उतरे | झील में जैसे माहताब उतरे | ||
तेरी पाज़ेब की झनक गूँजी | तेरी पाज़ेब की झनक गूँजी | ||
− | ताक़े-निसियाँ | + | ताक़े-निसियाँ से फिर रूबाब उतरे |
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मल्क-ए-हुस्न पर किताब उतरे | मल्क-ए-हुस्न पर किताब उतरे | ||
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17:55, 31 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण
उसकी रहमत का इक सहाब उतरे
मेरे कांधों से फिर हिसाब उतरे
ख़ुद से पूछो तबाहियों का सबब
आसमानो से क्यों जवाब उतरे
चश्में-इक़रार की चमक मत पूछ
झील में जैसे माहताब उतरे
तेरी पाज़ेब की झनक गूँजी
ताक़े-निसियाँ से फिर रूबाब उतरे
इश्क़ शोला बजां हो सीना पर
मल्क-ए-हुस्न पर किताब उतरे
रौशनी शहरे-जाँ में फैले कुछ
ताल-ए-दिल पे आफ़ताब उतरे