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"शहरे दिल हो के क़रिया-ए-जां हो / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर

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शहरे दिल हो के क़रिया-ए-जाँ<ref> आत्मा का गाँव</ref> हो
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दर्द तेरा कहीं तो मेहमाँ हो
 
दर्द तेरा कहीं तो मेहमाँ हो
  
 
हम फ़क़ीरों  को सब बराबर है
 
हम फ़क़ीरों  को सब बराबर है
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क़सरे शाही हो या बियाबाँ हो
  
 
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चन्द ज़ख़्मों का क़र्ज़ क्या रक्खूँ
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वार अबके हयात पैमाँ हो
  
 
अश्क मेरे गुहर भी हो जायें
 
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18:04, 31 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण

शहरे दिल हो के क़रिया-ए-जाँ हो
दर्द तेरा कहीं तो मेहमाँ हो

हम फ़क़ीरों को सब बराबर है
क़सरे शाही हो या बियाबाँ हो

चन्द ज़ख़्मों का क़र्ज़ क्या रक्खूँ
वार अबके हयात पैमाँ हो

अश्क मेरे गुहर भी हो जायें
काश आँखों को तेरा दामाँ हो

बेवफाई उसे है रास आयी
फिर वफ़ा करके क्यों पशेमाँ हो

है परीजाद की नज़र तुझ पर
अब ख़ुदा ही तिरा निगहबाँ हो