भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्यार का इक जलाकर दिया आपने / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास' |अन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:27, 27 जनवरी 2025 के समय का अवतरण

प्यार का इक जलाकर दिया आपने।
राहे उल्फ़त को रौशन किया आपने।

सबके बस की नहीं बात थी जिस तरह,
जिन्दगी का ज़हर पी लिया आपने।

याद है आपकी अब भी बाजीगरी,
किस तरह ज़ख़्म दिल का सिया आपने।

मुश्किलें सामने फिर र्न आइं कभी,
जब ख़ुदा पर भरोसा किया आपने।

वक़्त ने रंग रह रह के बदले मगर,
अपना बदला नहीं जाविया आपने।

रात कल अपनी मुस्कान से सींचकर,
इक शजर फिर हरा कर दिया आपने।

हम ये रिश्ता निभायेंगे ता जिन्दगी,
कह के ‘विश्वास’ पुख्ता किया आपने।