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"चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है | चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है | ||
− | आप बतलायें हमें यह | + | आप बतलायें हमें यह प्राथना है |
कर सको जितनी अधिक सेवा करो बस | कर सको जितनी अधिक सेवा करो बस | ||
− | भूल मत जाना उसे जिसने जना है | + | भूल मत जाना उसे जिसने जना है |
ज्ञान की गंगा बहाये जो धरा पर | ज्ञान की गंगा बहाये जो धरा पर | ||
− | वह भगीरथ अब हमें फिर ढूँढना है | + | वह भगीरथ अब हमें फिर ढूँढना है |
− | जानते हैं हम बहुत बलवान हो तुम | + | जानते हैं हम बहुत बलवान हो तुम |
पर विरोधी को नहीं कम आंकना है | पर विरोधी को नहीं कम आंकना है | ||
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साथ सूरज के तुझे फिर जागना है | साथ सूरज के तुझे फिर जागना है | ||
− | सुन 'रक़ीब' | + | सुन 'रक़ीब' इश्वर सभी का हित करेगा |
ध्यान में रखना, तुझे जो माँगना है | ध्यान में रखना, तुझे जो माँगना है | ||
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01:48, 30 जनवरी 2025 के समय का अवतरण
चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है
आप बतलायें हमें यह प्राथना है
कर सको जितनी अधिक सेवा करो बस
भूल मत जाना उसे जिसने जना है
ज्ञान की गंगा बहाये जो धरा पर
वह भगीरथ अब हमें फिर ढूँढना है
जानते हैं हम बहुत बलवान हो तुम
पर विरोधी को नहीं कम आंकना है
चार पैसे क्या हुये उड़ने लगे वह
मत उड़ें इतना यहीं सब छोड़ना है
नींद आँखों में भरी है, सोएगा कब
साथ सूरज के तुझे फिर जागना है
सुन 'रक़ीब' इश्वर सभी का हित करेगा
ध्यान में रखना, तुझे जो माँगना है