"दूर रहना तो अब दूर की बात है, पास भी अब तो आया नहीं जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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दूर रहना तो अब दूर की बात है, पास भी अब तो आया नहीं जाएगा | दूर रहना तो अब दूर की बात है, पास भी अब तो आया नहीं जाएगा | ||
हमने तुमसे जो वादा किया था कभी, अब वो वादा निभाया नहीं जाएगा | हमने तुमसे जो वादा किया था कभी, अब वो वादा निभाया नहीं जाएगा | ||
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हम न बह जाएं दुनिया के सैलाब में, क्या ही अच्छा हो बचने की कोशिश करें | हम न बह जाएं दुनिया के सैलाब में, क्या ही अच्छा हो बचने की कोशिश करें | ||
− | ज़द में सैलाब की हम अगर आ गए, तो | + | ज़द में सैलाब की हम अगर आ गए, तो किनारे पे लाया नहीं जाएगा |
डांटकर बाप बच्चे से कहने लगा, ले खिलौना, खिलौना नहीं तोड़ना | डांटकर बाप बच्चे से कहने लगा, ले खिलौना, खिलौना नहीं तोड़ना | ||
दिन गरीबी के हैं पास पैसा नहीं, और खिलौना दिलाया नहीं जाएगा | दिन गरीबी के हैं पास पैसा नहीं, और खिलौना दिलाया नहीं जाएगा | ||
− | लोगो | + | लोगो इश्वर की इच्छा के आगे कभी, आपकी और मेरी चलेगी नहीं |
उसकी इच्छा न हो, लाख कोशिश करें, हमसे पत्ता हिलाया नहीं जाएगा | उसकी इच्छा न हो, लाख कोशिश करें, हमसे पत्ता हिलाया नहीं जाएगा | ||
मैं 'रक़ीब'-ए-हक़ीक़त नहीं दोस्तो, लोग जो कुछ भी कहते हैं कहते रहें | मैं 'रक़ीब'-ए-हक़ीक़त नहीं दोस्तो, लोग जो कुछ भी कहते हैं कहते रहें | ||
तुम न कहना कभी, तुम कहोगे तो फिर, मुझसे ये ग़म उठाया नहीं जाएगा | तुम न कहना कभी, तुम कहोगे तो फिर, मुझसे ये ग़म उठाया नहीं जाएगा | ||
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10:36, 6 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण
दूर रहना तो अब दूर की बात है, पास भी अब तो आया नहीं जाएगा
हमने तुमसे जो वादा किया था कभी, अब वो वादा निभाया नहीं जाएगा
दिन तो कट जाएगा दूर रहकर सनम, रात आई तो बढ़ जाएंगे दिल के ग़म
याद आकर मुझे तेरी तड़पाएगी, कोई भी गीत गाया नहीं जाएगा
आशिकों की गिज़ा ये ही दिन रैन है, ग़म हैं खाने को और अश्क़ पीने को हैं
देन है ये विधाता की, इस देन से, यार दामन बचाया नहीं जाएगा
पहले शरमाए, मुस्काए, पास आए कुछ, मेरी अर्ज़े-तमन्ना पे कहने लगे
दूर से बात कीजेगा बस दूर से, अब गले से लगाया नहीं जाएगा
हम न बह जाएं दुनिया के सैलाब में, क्या ही अच्छा हो बचने की कोशिश करें
ज़द में सैलाब की हम अगर आ गए, तो किनारे पे लाया नहीं जाएगा
डांटकर बाप बच्चे से कहने लगा, ले खिलौना, खिलौना नहीं तोड़ना
दिन गरीबी के हैं पास पैसा नहीं, और खिलौना दिलाया नहीं जाएगा
लोगो इश्वर की इच्छा के आगे कभी, आपकी और मेरी चलेगी नहीं
उसकी इच्छा न हो, लाख कोशिश करें, हमसे पत्ता हिलाया नहीं जाएगा
मैं 'रक़ीब'-ए-हक़ीक़त नहीं दोस्तो, लोग जो कुछ भी कहते हैं कहते रहें
तुम न कहना कभी, तुम कहोगे तो फिर, मुझसे ये ग़म उठाया नहीं जाएगा