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"बताऊँ क्यों अजीब हूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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हैं आप मेरे हमसफ़र | हैं आप मेरे हमसफ़र | ||
− | मैं कितना | + | मैं कितना ख़ुश-नसीब हूँ |
मैं खुद से दूर हो गया | मैं खुद से दूर हो गया | ||
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भले ही मैं ग़रीब हूँ | भले ही मैं ग़रीब हूँ | ||
− | कफ़स में हूँ हयात की | + | कफ़स में हूँ हयात की |
मैं एक अन्दलीब हूँ | मैं एक अन्दलीब हूँ | ||
− | + | मिरे सनम यक़ीन कर | |
फ़क़त तेरा हबीब हूँ | फ़क़त तेरा हबीब हूँ | ||
− | ग़ज़ल ही सिन्फ़ है मेरी | + | ग़ज़ल ही सिन्फ़ है मेरी |
− | ग़ज़ल ही का तबीब हूँ | + | ग़ज़ल ही का तबीब हूँ |
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कभी-कभी ये लगता है | कभी-कभी ये लगता है | ||
मैं अपना ही 'रक़ीब' हूँ | मैं अपना ही 'रक़ीब' हूँ | ||
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19:01, 9 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण
बताऊँ क्यों अजीब हूँ
मैं शायर-ओ-अदीब हूँ
हैं आप मेरे हमसफ़र
मैं कितना ख़ुश-नसीब हूँ
मैं खुद से दूर हो गया
हुज़ूर से क़रीब हूँ
धनी हूँ बात का सनम
भले ही मैं ग़रीब हूँ
कफ़स में हूँ हयात की
मैं एक अन्दलीब हूँ
मिरे सनम यक़ीन कर
फ़क़त तेरा हबीब हूँ
ग़ज़ल ही सिन्फ़ है मेरी
ग़ज़ल ही का तबीब हूँ
कभी-कभी ये लगता है
मैं अपना ही 'रक़ीब' हूँ