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"आज माहौल दुनिया का खूंरेज़ है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

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आज माहौल दुनिया का खूँरेज़ है  
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है हलाकू कोई, कोई चंगेज़ है  
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आज माहौल दुनिया का खूँरेज़ है
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है हलाकू कोई, कोई चंगेज़ है
गैर के रंग में, रंग गए लोग कुछ  
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रूह में बस गया जिनके अँगरेज़ है  
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गैर के रंग में, हैं रंगे लोग कुछ
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रूह में बस गया जिनके अँगरेज़ है
गौर से देखिये गुलशने हुस्न की
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"हर कली खूबसूरत है नौखेज़ है"
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गौर से देखिये गुलशन-ए-हुस्न में
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"हर कली ख़ूबसूरत है नौ-खेज़ है"
मुस्कुरा कर सहेली ने उस से कहा  
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उड़ न जाए दुपट्टा हवा तेज़ है  
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मुस्कुरा कर सहेली ने उस से कहा
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उड़ न जाए दुपट्टा हवा तेज़ है
उम्र भर जो रहे देखते आइना
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आइने से उन्हें आज परहेज़ है  
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उम्र भर जो रहे देखते आईना
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आइने से उन्हें आज परहेज़ है
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डर है दुनिया का नक्शा न बदले कहीं
 
डर है दुनिया का नक्शा न बदले कहीं
रंगरेज़ी पे आमादा रंगरेज़ है  
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रंगरेज़ी पे आमादा रंगरेज़ है
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वक़्त है कर ले तौबा ख़ुदा से 'रक़ीब'  
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वक़्त है कर ले तौबा ख़ुदा से 'रक़ीब'
 
साग़रे ज़िंदगी तेरा लबरेज़ है
 
साग़रे ज़िंदगी तेरा लबरेज़ है
 
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23:47, 10 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण


आज माहौल दुनिया का खूँरेज़ है
है हलाकू कोई, कोई चंगेज़ है

गैर के रंग में, हैं रंगे लोग कुछ
रूह में बस गया जिनके अँगरेज़ है

गौर से देखिये गुलशन-ए-हुस्न में
"हर कली ख़ूबसूरत है नौ-खेज़ है"

मुस्कुरा कर सहेली ने उस से कहा
उड़ न जाए दुपट्टा हवा तेज़ है

उम्र भर जो रहे देखते आईना
आइने से उन्हें आज परहेज़ है

डर है दुनिया का नक्शा न बदले कहीं
रंगरेज़ी पे आमादा रंगरेज़ है

वक़्त है कर ले तौबा ख़ुदा से 'रक़ीब'
साग़रे ज़िंदगी तेरा लबरेज़ है