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"जो तुझे भूल गए तू भी उन्हें याद न कर / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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इतनी बंदिश न लगा खुल के वो रो भी न सके
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ठीक है पिंजरे से पंछी को तू आज़ाद न कर
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दिल पे हर बात जो लेगा तो जियेगा कैसे
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बदले मौसम से तबीयत को यूँ नाशाद न कर
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लौट कर फिर वो दुबारा न कभी आयेगा
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जो समय बीत गया, बीत गया याद न कर
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इतनी सी बात मेरी मान ले तो अच्छा है
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क्षुद्र लोगों से कभी कोई भी फ़रियाद न कर
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आज तू कुछ भी मुझे कह ले, गुज़ारिश लेकिन
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मेरे बारे में कोई बात मेरे बाद न कर
 
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22:25, 4 मार्च 2025 के समय का अवतरण

जो तुझे भूल गए तू भी उन्हें याद न कर
ऐसे लोगों पे कभी वक़्त भी बरबाद न कर

इतनी बंदिश न लगा खुल के वो रो भी न सके
ठीक है पिंजरे से पंछी को तू आज़ाद न कर

दिल पे हर बात जो लेगा तो जियेगा कैसे
बदले मौसम से तबीयत को यूँ नाशाद न कर

लौट कर फिर वो दुबारा न कभी आयेगा
जो समय बीत गया, बीत गया याद न कर

इतनी सी बात मेरी मान ले तो अच्छा है
क्षुद्र लोगों से कभी कोई भी फ़रियाद न कर

आज तू कुछ भी मुझे कह ले, गुज़ारिश लेकिन
मेरे बारे में कोई बात मेरे बाद न कर