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"मुहब्बत न होती तो क्यों याद करता / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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कोई बात तो ख़ास है तुममें वरना
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अगर  फ़िक्र  होती न मुझको तुम्हारी
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अभी भी मेरा दिल यही मानता है
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न अधिकार होता न फ़रियाद करता
 
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22:28, 4 मार्च 2025 के समय का अवतरण

मुहब्बत न होती तो क्यों याद करता
ख़ुदा की इबादत तेरे बाद करता

अभी तो ख़यालों में मिलता हूँ तुमसे
अगर पास होते तो संवाद करता

मेरा आशियाँ हो रहा है जो खंडहर
तेरे साथ फिर रह के आबाद करता

अगर तुम न होते ये असबाब सारे
तो किसके लिए फिर मैं ईजाद करता

कोई बात तो ख़ास है तुममें वरना
तबीयत मैं क्यों अपनी नाशाद करता

अगर फ़िक्र होती न मुझको तुम्हारी
जवानी न अपनी मैं बरबाद करता

अभी भी मेरा दिल यही मानता है
न अधिकार होता न फ़रियाद करता