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"उसके माथे पर तो कुछ लिक्खा न था / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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वो बदल जायेगा यह सोचा न था
  
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हद से ज्यादा था किया उस पर यकीं
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मान बैठा था जिसे अपना न था
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थी ख़ता इसमें हमारी भी तो कुछ
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जल गयी रोटी उसे पलटा न था
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बस दबा दो स्विच ,जल जाता है बल्ब
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तब तुम्हारे बिन दिया जलता न था
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याद है बेटे का बचपन आज भी
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वो था बच्चा और मैं बूढ़ा न था
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आसमां लगता था तब छोटा हमें
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तब हमारे सामने पिंजरा न था
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आपको दिखती थी तब हर चीज़ साफ़
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आपका चश्मा ये तब उल्टा न था
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देखता औरों को था,खुद को नहीं
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तब हमारे पास आईना न था
 
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15:32, 22 मार्च 2025 के समय का अवतरण

उसके माथे पर तो कुछ लिक्खा न था
वो बदल जायेगा यह सोचा न था

हद से ज्यादा था किया उस पर यकीं
मान बैठा था जिसे अपना न था

थी ख़ता इसमें हमारी भी तो कुछ
जल गयी रोटी उसे पलटा न था

बस दबा दो स्विच ,जल जाता है बल्ब
तब तुम्हारे बिन दिया जलता न था

याद है बेटे का बचपन आज भी
वो था बच्चा और मैं बूढ़ा न था

आसमां लगता था तब छोटा हमें
तब हमारे सामने पिंजरा न था

आपको दिखती थी तब हर चीज़ साफ़
आपका चश्मा ये तब उल्टा न था

देखता औरों को था,खुद को नहीं
तब हमारे पास आईना न था