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"आज वो मेरे घर आये हैं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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बिन मौसम बादल छाये हैं
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आज लगेंगे दिल के मेले
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वर्षों बाद उन्हें पाये हैं
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छलक रही आँखोंमें मस्ती
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पैमाने दो भर लाये हैं
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आज हिसाब करेंगे इसका
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कितना हमको तड़पाये हैं
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मैं बेचैन हुआ जाता हूँ
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आप अभी तक शरमाये हैं
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हँसने की कोशिश करता हूँ
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फिर भी तो ग़म के साये हैं
 
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16:00, 22 मार्च 2025 के समय का अवतरण

आज वो मेरे घर आये हैं
चाँद - सितारे संग लाये हैं

गेसू ऐसे लहराये हैं
बिन मौसम बादल छाये हैं

आज लगेंगे दिल के मेले
वर्षों बाद उन्हें पाये हैं

छलक रही आँखोंमें मस्ती
पैमाने दो भर लाये हैं

आज हिसाब करेंगे इसका
कितना हमको तड़पाये हैं

मैं बेचैन हुआ जाता हूँ
आप अभी तक शरमाये हैं

हँसने की कोशिश करता हूँ
फिर भी तो ग़म के साये हैं