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"नाम ईनाम की ख़्वाहिश न दिल में रखते हैं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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गिरगटों की तरह से रंग वो बदलते हैं
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जो अँधेरे में बिकें और पाक साफ़ रहें
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उनसे अच्छे कहीं ऐलानिया जो बिकते हैं
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गै़र तो गै़र हैं अपनों से बचें पहले तो
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आग तो आग बर्फ़ पे भी  पाँव जलते हैं
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साँप  दुनिया में हज़ारों तरह के होते यूँ
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सबसे ज़हरीले वो जो आस्तीं में पलते हैं
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सूखे पत्तों को भी होती तलाश अवसर की
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आँधियों के वो साथ फड़फड़ा के उड़ते हैं
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ऐसी दुनिया का  करे कोई भरोसा कैसे
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लोग अपने ज़मीर का भी क़त्ल करते हैं
 
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16:03, 22 मार्च 2025 के समय का अवतरण

नाम ईनाम की ख़्वाहिश न दिल में रखते हैं
लेखनी का ज़रूर फ़र्ज़ अदा करते हैं

ऐसा कहते हैं लोग मतलबी लोगों के लिए
गिरगटों की तरह से रंग वो बदलते हैं

जो अँधेरे में बिकें और पाक साफ़ रहें
उनसे अच्छे कहीं ऐलानिया जो बिकते हैं

गै़र तो गै़र हैं अपनों से बचें पहले तो
आग तो आग बर्फ़ पे भी पाँव जलते हैं

साँप दुनिया में हज़ारों तरह के होते यूँ
सबसे ज़हरीले वो जो आस्तीं में पलते हैं

सूखे पत्तों को भी होती तलाश अवसर की
आँधियों के वो साथ फड़फड़ा के उड़ते हैं

ऐसी दुनिया का करे कोई भरोसा कैसे
लोग अपने ज़मीर का भी क़त्ल करते हैं