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"दिन भी कमरे में रात कमरे में / अशोक अंजुम" के अवतरणों में अंतर

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23:40, 30 मार्च 2025 के समय का अवतरण

दिन भी कमरे में रात कमरे में
हो रहीं क्या-क्या बात कमरे में

बिछ गई है बिसात कमरे में
होगी अब शय औ मात कमरे में

आयी आँधी, हुई जो बारिश तो
भर गईं सातों जात कमरे में

दूल्हे ने माँग ली जो गाड़ी उफ्
पिट रही कुल बरात कमरे में

तुम हो कमरे में मैं हूँ कमरे में
यूँ कि कुल कायनात कमरे में

सारे जासूस थक गए आखिर
गुम हैं सौ वारदात कमरे में