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"तीन बन्दर / मदन कश्यप" के अवतरणों में अंतर

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21:54, 8 अप्रैल 2025 के समय का अवतरण

वे तीनों बन्दर ही थे
लेकिन गाँधीजी के नहीं

पहला बोलता था
लेकिन अपनी भाषा नहीं

दूसरा सुनता था
लेकिन लोकतंत्र और जनता की नहीं

तीसरा देखता था
लेकिन संविधान और न्याय को नहीं

तीनों बन्दर ही थे !