भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"समन सरीसी (पहला हिस्सा) / नाज़िम हिक़मत / सुरेश सलिल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नाज़िम हिक़मत |अनुवादक=सुरेश सलि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:02, 15 अप्रैल 2025 के समय का अवतरण

सुबह के वक़्त बिना किसी इत्तला के
एक्सप्रेस दाख़िल हुई स्टेशन में बर्फ़ से ढकी हुई
मैं प्लेटफ़ार्म पर खड़ा हुआ, कोट के कॉलर उठे हुए
प्लेटफ़ार्म ख़ाली था
स्लीपर क्लास का एक दरीचा मेरे सामने आकर रुका
उसके परदे हटे हुए
निचली बर्थ पर एक हसीन औरत सोई हुई,
धुँधली रोशनी में
उसके भूरे सुनहरे बाल
उसकी बरौनियाँ नीलगूँ