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"बहुरूपिया / फणीश्वर नाथ रेणु" के अवतरणों में अंतर
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हँसती है | हँसती है | ||
उँगलियाँ उठा कहती है ... | उँगलियाँ उठा कहती है ... | ||
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− | राम रे राम! | + | राम रे राम ! |
क्या पहरावा है | क्या पहरावा है | ||
क्या चाल-ढाल | क्या चाल-ढाल | ||
सबड़-झबड़ | सबड़-झबड़ | ||
आल-जाल-बाल | आल-जाल-बाल | ||
− | हाल में लिया है भेख? | + | हाल में लिया है भेख ? |
− | जटा या केश? | + | जटा या केश ? |
जनाना-ना-मर्दाना | जनाना-ना-मर्दाना | ||
या जन ....... | या जन ....... | ||
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हो-पहरावे-ओढ़ावे | हो-पहरावे-ओढ़ावे | ||
चाल-ढाल | चाल-ढाल | ||
− | उसकी रुचि, | + | उसकी रुचि, पसन्द के अनुसार |
या रुचि का | या रुचि का | ||
सजाया-सँवारा पुतुल मात्र, | सजाया-सँवारा पुतुल मात्र, | ||
मैं | मैं | ||
मेरा पुरुष | मेरा पुरुष | ||
− | + | बहुरूपिया । | |
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01:17, 1 मई 2025 के समय का अवतरण
दुनिया दूषती है
हँसती है
उँगलियाँ उठा कहती है ...
कहकहे कसती है —
राम रे राम !
क्या पहरावा है
क्या चाल-ढाल
सबड़-झबड़
आल-जाल-बाल
हाल में लिया है भेख ?
जटा या केश ?
जनाना-ना-मर्दाना
या जन .......
अ... खा... हा... हा.. ही.. ही...
मर्द रे मर्द
दूषती है दुनिया
मानो दुनिया मेरी बीवी
हो-पहरावे-ओढ़ावे
चाल-ढाल
उसकी रुचि, पसन्द के अनुसार
या रुचि का
सजाया-सँवारा पुतुल मात्र,
मैं
मेरा पुरुष
बहुरूपिया ।