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"बादशाहत से तेरी मैं न कभी डरता हूँ / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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बादशाहत से तेरी मैं न कभी डरता हूँ
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डर के आगे न मैं हथियार कभी रखता हूँ
  
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वो जो मेरे गले की नाप लिए फिरता है
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मैं उसी की गली से रोज़ ही गुज़रता हूँ
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मेरी औकात न देखो मेरी हिम्मत देखो
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मैं दरियाव में घड़ियालों के संग रहता हूँ
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छोड़िये बात उनकी छोड़िये वो मुर्दे हैं
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मैं धाराओं के विपरीत सदा बहता हूँ
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शौक़ उड़ने का नहीं मुझको सुनो, गुब्बारो
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पाँव खुद की ज़मीं पे मैं जमा के रखता हूँ
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मेरे भीतर की आग में यही तो खूबी है
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जलता रहता हूँ मगर राख नहीं बनता हूँ
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ऐ ख़ुदा शहर ये लगता डरावना कितना
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दूर सहराओं में फिर भी सुकूँ में रहता हूँ
 
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18:10, 3 मई 2025 के समय का अवतरण

बादशाहत से तेरी मैं न कभी डरता हूँ
डर के आगे न मैं हथियार कभी रखता हूँ

वो जो मेरे गले की नाप लिए फिरता है
मैं उसी की गली से रोज़ ही गुज़रता हूँ

मेरी औकात न देखो मेरी हिम्मत देखो
मैं दरियाव में घड़ियालों के संग रहता हूँ

छोड़िये बात उनकी छोड़िये वो मुर्दे हैं
मैं धाराओं के विपरीत सदा बहता हूँ

शौक़ उड़ने का नहीं मुझको सुनो, गुब्बारो
पाँव खुद की ज़मीं पे मैं जमा के रखता हूँ

मेरे भीतर की आग में यही तो खूबी है
जलता रहता हूँ मगर राख नहीं बनता हूँ

ऐ ख़ुदा शहर ये लगता डरावना कितना
दूर सहराओं में फिर भी सुकूँ में रहता हूँ