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"भले सम्बन्ध आपसे न कोई रखते हैं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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फ़िक्र पर आप की सदैव किया करते हैं
  
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छुड़ा के हाथ  आप चल दिए  पता न चला
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कभी अज़ीज़ थे अब अजनबी से लगते हैं
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लगे बुरा भी नहीं सच  बयाँ भी हो जाये
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बड़े सलीके से हम अपनी बात रखते हैं
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हमें पता है कि तुम झूठ बोलते हो बहुत
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फिर भी  ये सच है  तुम्हीं पर यकीन करते हैं
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शुरू - शुरू में वो मासूम बहुत लगते थे
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क़माल देखिए अब सर पे चढ़े रहते हैं
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उम्र अपनी जगह पे, रूप-रंग  है अपनी जगह
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मगर अदाएँ वही अब भी जिन पे मरते हैं
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नदी ज़रूर हूँ फिर भी है ये दावा मेरा
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कहाँ वो डूबते जो साथ- साथ बहते हैं
 
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18:13, 3 मई 2025 के समय का अवतरण

भले सम्बन्ध आपसे न कोई रखते हैं
फ़िक्र पर आप की सदैव किया करते हैं

छुड़ा के हाथ आप चल दिए पता न चला
कभी अज़ीज़ थे अब अजनबी से लगते हैं

लगे बुरा भी नहीं सच बयाँ भी हो जाये
बड़े सलीके से हम अपनी बात रखते हैं

हमें पता है कि तुम झूठ बोलते हो बहुत
फिर भी ये सच है तुम्हीं पर यकीन करते हैं

शुरू - शुरू में वो मासूम बहुत लगते थे
क़माल देखिए अब सर पे चढ़े रहते हैं

उम्र अपनी जगह पे, रूप-रंग है अपनी जगह
मगर अदाएँ वही अब भी जिन पे मरते हैं

नदी ज़रूर हूँ फिर भी है ये दावा मेरा
कहाँ वो डूबते जो साथ- साथ बहते हैं