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"गुनाहों से पर्दा कभी तो उठेगा / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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मेले में आये तो धक्के खाइए
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आप अपनी बात पर क़ायम रहें
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आप अपने ही सुरों में गाइए
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जिसको जो कहना है वो कहता रहे
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आप बिल्कुल भी नहीं घबराइए
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क्या पुरानी लीक पर चलते रहें
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रास्ता कोई नया दिखलाइए
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झुंड में भेडे़ं हैं मरती दोस्तो
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जो रचें, जैसा रचें, मौलिक रचें
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दूसरों को भी यही बतलाइए
 
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18:42, 3 मई 2025 का अवतरण

भीड़ से बाहर निकल कर आइए
इस समंदर में न ग़ुम हो जाइए

फ़ायदा इकला ही चलने में मिले
मेले में आये तो धक्के खाइए

आप अपनी बात पर क़ायम रहें
आप अपने ही सुरों में गाइए

जिसको जो कहना है वो कहता रहे
आप बिल्कुल भी नहीं घबराइए

क्या पुरानी लीक पर चलते रहें
रास्ता कोई नया दिखलाइए

झुंड में भेडे़ं हैं मरती दोस्तो
इससे अच्छा है कि मगहर जाइए

जो रचें, जैसा रचें, मौलिक रचें
दूसरों को भी यही बतलाइए