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"तेज़ आँधी भी नहीं वो झेल पाते / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | जन्म से डाकू, न कोई नक्सली हो | ||
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18:48, 3 मई 2025 के समय का अवतरण
तेज़ आँधी भी नहीं वो झेल पाते
छप्परों पर आप बुलडोज़र चलाते
बेरहम, बेदर्द हाकिम होंगे आप
इसलिए इंसानियत भी भूल जाते
था सुना हमने यहाँ जम्हूरियत है
पर, पुलिस से आप जनता को पिटाते
है तुम्हें परवा जिएँ या हम मरें
सिर्फ़ अंधाधुंध हम पर कर लगाते
क्या पता कल फिर हमारी हो ज़रूरत
वोट देकर हम तुम्हें मंत्री बनाते
शेर से जाओ भिड़ो हाथी अगर हो
चींटियों पर क्यों हो ताक़त आजमाते
जन्म से डाकू, न कोई नक्सली हो
लोग ऐसी क्यों परिस्थितियाँ बनाते