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"हमने समझा आप ही सबसे बड़े हैं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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व्यर्थ है, उनसे न टकराना कभी भी
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जिद  से पर, कैसे निकल पायें वो बाहर
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जब दिमागों में भरे बस केकड़े हैं
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ठीक तो बाहर से वो भी दीख पड़ते
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दोस्तो, भीतर से जो फूटे घड़े हैं
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हम तो मुड़कर भी न उनको  देखते फिर
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वो हमारे किसलिए पीछे पड़े हैं
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या तो समझो, या तो समझाओ हमें तुम
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अब मगर किस काम के ये फल बताओ
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कल रहे होंगे ये  मँहगे अब सड़े हैं
 
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19:11, 3 मई 2025 के समय का अवतरण

हमने समझा आप ही सबसे बड़े हैं
पेड़ जी, फिर आप क्यों तन्हा खड़े हैं

व्यर्थ है, उनसे न टकराना कभी भी
जड़ हैं जिनकी बुद्धि पर ताले जड़े हैं

जिद से पर, कैसे निकल पायें वो बाहर
जब दिमागों में भरे बस केकड़े हैं

ठीक तो बाहर से वो भी दीख पड़ते
दोस्तो, भीतर से जो फूटे घड़े हैं

हम तो मुड़कर भी न उनको देखते फिर
वो हमारे किसलिए पीछे पड़े हैं

या तो समझो, या तो समझाओ हमें तुम
अन्यथा हम तर्क पर अपने अड़े हैं

अब मगर किस काम के ये फल बताओ
कल रहे होंगे ये मँहगे अब सड़े हैं