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"कैसे पहचानें कौन शख़्स जेबकतरा है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | क्या पता कौन कुआँ कितना अधिक गहरा है | ||
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+ | ऐसे हालात में दुष्यंत का शेर याद आया | ||
+ | मुझको मालूम है कि पानी कहाँ ठहरा है | ||
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+ | मोतियों की नहीं ये बात मेरी प्यास की है | ||
+ | सिंधु का नीर है खारा तो वो भी सहरा है | ||
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12:09, 4 मई 2025 के समय का अवतरण
कैसे पहचानें कौन शख़्स जेबकतरा है
कपड़े- लत्ते से तो हर कोई साफ़ - सुथरा है
पर्स रह जाती है और रूपया निकल जाता
अपने घर वालों से तो और अधिक ख़तरा है
आप अपने को आदमी समझ के खुश रहिए
पैसे वालों के लिए हर ग़रीब बकरा है
सबकी नज़रें टिकीं बिछे हुए रेड कार्पेट पर
देखता कौन है कि उसके तले कचरा है
योग्यता और जल की थाह मापना मुश्किल
क्या पता कौन कुआँ कितना अधिक गहरा है
ऐसे हालात में दुष्यंत का शेर याद आया
मुझको मालूम है कि पानी कहाँ ठहरा है
मोतियों की नहीं ये बात मेरी प्यास की है
सिंधु का नीर है खारा तो वो भी सहरा है