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"ऐसी चली विकास की आंधी न पूछिए / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | इतना धुआँ है दूर तलक दिख नहीं रहा | ||
+ | मर जाइए मौसम की ख़राबी न पूछिए | ||
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+ | पैसे हो कमाना तो ग़लत काम कीजिये | ||
+ | होती हराम की जो कमाई न पूछिए | ||
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12:17, 4 मई 2025 के समय का अवतरण
ऐसी चली विकास की आँधी न पूछिए
दिल थाम के बैठा हूँ तबाही न पूछिए
आरा लिए तो कोई कुल्हाड़ा लिए खड़ा
कितनी हुई पेड़ों की कटाई न पूछिए
बिल्कुल नहीं सरकार को पर्यावरण की फ़िक्र
आयेगी जो इस बार सुनामी न पूछिए
पर्यावरण ख़राब तो सब कुछ ख़राब है
दम घुट रहा लोगों का, बिमारी न पूछिए
शासन का कोई डर नहीं सब बेलगाम हैं
कैसे जला रहे हैं पराली न पूछिए
इतना धुआँ है दूर तलक दिख नहीं रहा
मर जाइए मौसम की ख़राबी न पूछिए
पैसे हो कमाना तो ग़लत काम कीजिये
होती हराम की जो कमाई न पूछिए