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"ढो रही सारे शहर की गंदगी मैं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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ढो रही सारे शहर की गंदगी मैं
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जी रही अभिशाप में ऐसी नदी मैं
  
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थे कभी कान्हा यहाँ बंशी बजाते
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सबसे दूषित आज वो जमुना नदी मैं
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आदमी के पाप से  गँदला गयी हूँ
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सोन,गंगा, गोमती, गोदावरी मैं
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मैं नदी हूँ , जानती भी हूँ हक़ीक़त
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पर विवश हूँ झेलने को त्रासदी मैं
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इक से इक घड़ियाल हैं  पर डर नहीं है
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आदमी की जात से घबरा रही मैं
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आप तो तालाब , कूआँ खोद लेंगे
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इन परिंदों की  तो लेकिन ज़िन्दगी मैं
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आँसुओं से मेरे आ सकती प्रलय भी
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इसलिए  रो भी नहीं सकती कभी मैं
 
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12:26, 4 मई 2025 के समय का अवतरण

ढो रही सारे शहर की गंदगी मैं
जी रही अभिशाप में ऐसी नदी मैं

थे कभी कान्हा यहाँ बंशी बजाते
सबसे दूषित आज वो जमुना नदी मैं

आदमी के पाप से गँदला गयी हूँ
सोन,गंगा, गोमती, गोदावरी मैं

मैं नदी हूँ , जानती भी हूँ हक़ीक़त
पर विवश हूँ झेलने को त्रासदी मैं

इक से इक घड़ियाल हैं पर डर नहीं है
आदमी की जात से घबरा रही मैं

आप तो तालाब , कूआँ खोद लेंगे
इन परिंदों की तो लेकिन ज़िन्दगी मैं

आँसुओं से मेरे आ सकती प्रलय भी
इसलिए रो भी नहीं सकती कभी मैं