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"लिक्खा मैंने भोगा सच / अमर पंकज" के अवतरणों में अंतर

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* [[मुश्किल था पूरा सच लिखना तो आधा हर बार लिखा / अमर पंकज]]
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* [[अब है मुझको दूर जाना, प्यार से रुख़सत करो / अमर पंकज]]
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* [[तेरे नाम सजी है महफ़िल आज कई चौबारों में / अमर पंकज]]
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* [[आज हूँ ख़ुद से ख़फ़ा मैं इसलिए हूँ दूर तुमसे / अमर पंकज]]
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* [[क्या हुआ क्या बताता रहा उम्र भर / अमर पंकज]]
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* [[भुला कर अदावत क़दम-दर-क़दम / अमर पंकज]]
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* [[मुहब्बत की क़ीमत चुकानी पड़ेगी / अमर पंकज]]
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* [[झूठ हर्षित हो रहा है आज के इस दौर में / अमर पंकज]]
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* [[ज़िन्दगी कैसी रही है वक़्त ही बतलाएगा / अमर पंकज]]
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* [[ख़्वाब है या है हक़ीक़त दिल ने भरमाया है क्या / अमर पंकज]]

23:27, 4 मई 2025 के समय का अवतरण

लिक्खा मैंने भोगा सच
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रचनाकार अमर पंकज
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