भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भुला कर अदावत क़दम-दर-क़दम / अमर पंकज" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमर पंकज |अनुवादक= |संग्रह=लिक्खा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:31, 4 मई 2025 के समय का अवतरण
भुला कर अदावत क़दम-दर-क़दम,
किये जा मुहब्बत क़दम-दर-क़दम।
सँभलकर नहीं मैं रहा हूँ मगर,
सँभाली अमानत क़दम-दर-क़दम।
हुई दोस्ती फिर रक़ीबों से है,
सुनाता हिकायत क़दम-दर-क़दम।
इशारा समझ मौसमे-गुल का भी,
करे दिल बग़ावत क़दम-दर-क़दम।
रिफ़ाक़त ‘अमर’ अजनबी से भी कर,
भले हो ख़यानत क़दम-दर-क़दम।