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"मुश्किल था पूरा सच लिखना तो आधा हर बार लिखा / अमर पंकज" के अवतरणों में अंतर

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23:36, 4 मई 2025 के समय का अवतरण

मुश्किल था पूरा सच लिखना तो आधा हर बार लिखा,
जहर पिया मैंने नित लेकिन सुंदर है संसार लिखा।

शीश उठाकर जी ले निर्बल है इतना आसान नहीं,
मैंने भी तो इसीलिए है जीत बताकर हार लिखा।

बाढ़ नदी की लेकर आयी मुझको तो इस पार मगर,
मक्कारी लोगों की मैंने देखी जो उस पार लिखा।

सैर कराए नंदन वन की सुरभि पवन लेकर आये,
साथ मेरे ही रह तू पाहुँन, ख़त में ये सौ बार लिखा।

संत्रास, घुटन, अपमान, व्यथा, दर्द ‘अमर’ की गाथा है,
लिक्खा मैंने भोगा सच तू कहना मत बेकार लिखा।