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"रिश्ता बहाल काश फिर उसकी गली से हो / इरशाद खान सिकंदर" के अवतरणों में अंतर

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रिश्ता बहाल काश फिर उसकी गली से हो
 
रिश्ता बहाल काश फिर उसकी गली से हो
जी चाहता है  इश्क  दुबारा  उसी से हो
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जी चाहता है  इश्क़ दुबारा  उसी से हो
  
अंजाम जो भी हो मुझे उसकी नहीं है फिक्र
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अंज़ाम जो भी हो मुझे उसकी नहीं है फ़िक्र
आगाज़-ए-दास्तान-ए -सफर आप ही से हो
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आगाज़-ए-दास्तान-ए-सफ़र आप ही से हो
  
ख्वाहिश है पहुंचूं इश्क के मै उस मुकाम पर
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ख़्वाहिश है पहुँचूँ इश्क़ के मैं उस मुकाम पर
जब उनका सामना मिरी दीवानगी से हो
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जब उनका सामना मेरी दीवानगी से हो
  
 
कपड़ों की वज्ह से मुझे कमतर न आंकिये
 
कपड़ों की वज्ह से मुझे कमतर न आंकिये
अच्छा हो ,मेरी जाँच-परख शायरी से हो
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अच्छा हो, मेरी जाँच-परख शायरी से हो
  
अब मेरे सर पे सब को हंसाने का काम है
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अब मेरे सर पे सब को हँसाने का काम है
मै चाहता हूँ काम ये संजीदगी से हो
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मैं चाहता हूँ काम ये संजीदगी से हो
  
 
दुनिया के सारे काम तो करना दिमाग से
 
दुनिया के सारे काम तो करना दिमाग से
लेकिन जब इश्क हो तो ‘सिकंदर’ वो जी से हो
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लेकिन जब इश्क़ हो तो ‘सिकंदर’ वो जी से हो
  
 
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21:32, 18 मई 2025 के समय का अवतरण

रिश्ता बहाल काश फिर उसकी गली से हो
जी चाहता है इश्क़ दुबारा उसी से हो

अंज़ाम जो भी हो मुझे उसकी नहीं है फ़िक्र
आगाज़-ए-दास्तान-ए-सफ़र आप ही से हो

ख़्वाहिश है पहुँचूँ इश्क़ के मैं उस मुकाम पर
जब उनका सामना मेरी दीवानगी से हो

कपड़ों की वज्ह से मुझे कमतर न आंकिये
अच्छा हो, मेरी जाँच-परख शायरी से हो

अब मेरे सर पे सब को हँसाने का काम है
मैं चाहता हूँ काम ये संजीदगी से हो

दुनिया के सारे काम तो करना दिमाग से
लेकिन जब इश्क़ हो तो ‘सिकंदर’ वो जी से हो