भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"स्वयं अपने ही नीचे दबे हम / ओसिप मंदेलश्ताम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम |अनुवादक=अनिल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
<poem>
 
<poem>
 
'''यह कविता स्तालिन के बारे में है। इसी कविता के कारण कवि को 1934 में निर्वासन की सज़ा मिली थी।'''
 
'''यह कविता स्तालिन के बारे में है। इसी कविता के कारण कवि को 1934 में निर्वासन की सज़ा मिली थी।'''
 +
 
स्वयं अपने ही नीचे दबे हम
 
स्वयं अपने ही नीचे दबे हम
 
जी रहे हैं यह जीवन
 
जी रहे हैं यह जीवन
पंक्ति 25: पंक्ति 26:
 
पाँच सेरा बाट उसकी बातों में जड़े
 
पाँच सेरा बाट उसकी बातों में जड़े
 
तिलचट्टे हँस रहे हैं उसको घेरे खड़े
 
तिलचट्टे हँस रहे हैं उसको घेरे खड़े
च़मक रहे हैं जूते उसके ख़ूबसूरत हैं बड़े
+
चमक रहे हैं जूते उसके ख़ूबसूरत हैं बड़े
पतली गर्दनों वाले कीट-कृमि नेता
+
 
 +
पतली गर्दनों वाले कीट-कृमि नेता  
 
उसके चारों ओर जमा हैं
 
उसके चारों ओर जमा हैं
 
और वह उनका चहेता
 
और वह उनका चहेता
पंक्ति 46: पंक्ति 48:
 
तो मज़ा जैसे वह रसबेरी का लेता है
 
तो मज़ा जैसे वह रसबेरी का लेता है
 
रसबेरी यह उसे बहुत-बहुत है भाती
 
रसबेरी यह उसे बहुत-बहुत है भाती
उस असेटिया वासी की चौड़ी हो जाती है छाती
+
उस असेटियावासी की चौड़ी हो जाती है छाती
  
 
1934
 
1934
 +
 +
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 +
'''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
 +
                    Осип Мандельштам
 +
      Мы живем, под собою не чуя страны…
 +
 +
Мы живем, под собою не чуя страны,
 +
Наши речи за десять шагов не слышны,
 +
А где хватит на полразговорца,
 +
Там припомнят кремлёвского горца.
 +
Его толстые пальцы, как черви, жирны,
 +
А слова, как пудовые гири, верны,
 +
Тараканьи смеются усища,
 +
И сияют его голенища.
 +
 +
А вокруг него сброд тонкошеих вождей,
 +
Он играет услугами полулюдей.
 +
Кто свистит, кто мяучит, кто хнычет,
 +
Он один лишь бабачит и тычет,
 +
Как подкову, кует за указом указ —
 +
Кому в пах, кому в лоб, кому в бровь, кому в глаз.
 +
Что ни казнь у него — то малина
 +
И широкая грудь осетина.
 +
1933 г.
 
</poem>
 
</poem>

00:20, 8 जून 2025 का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ओसिप मंदेलश्ताम  » संग्रह: तेरे क़दमों का संगीत
»  स्वयं अपने ही नीचे दबे हम

यह कविता स्तालिन के बारे में है। इसी कविता के कारण कवि को 1934 में निर्वासन की सज़ा मिली थी।

स्वयं अपने ही नीचे दबे हम
जी रहे हैं यह जीवन
चिन्ता नहीं हमें कोई देश की
जी रहे हैं जिसमें उस परिवेश की
इतने धीमे स्वरों में बातें करते हैं हम
कि वे सुनाई नहीं देतीं किसी को
चाहे हमसे हो दूर कोई सिर्फ़ दस क़दम
कहाँ पकड़ा जाए उसे इस रात
वो जो कह पाया अभी सिर्फ़ आधी ही बात
बताएगा तुम्हें वह पहाड़ का वासी
क्रेमलिन में छिपा जो लेता है उबासी
उसकी मोटी उँगलियाँ हैं केंचुए-सी चिकनी
नाक के नीचे उगी हैं मूँछें काली घनी
शब्द हैं वज़नी हमेशा विश्वास से भरे
पाँच सेरा बाट उसकी बातों में जड़े
तिलचट्टे हँस रहे हैं उसको घेरे खड़े
चमक रहे हैं जूते उसके ख़ूबसूरत हैं बड़े ।

पतली गर्दनों वाले कीट-कृमि नेता
उसके चारों ओर जमा हैं
और वह उनका चहेता
अर्धमानव सब खिदमत करते
वह है विजेता
कोई कुनमुना रहा है
कोई झुनझुना रहा है
कोई म्याऊँ करे धीमे से
कोई सनसना रहा है
वह अकेला मस्त है
भोग में व्यस्त है
नाल की तरह ठोंक रहा है
आदेश पर आदेश
कहीं किसी की जाँघ पर
कभी किसी के माथे पर
कभी किसी की भौहों पर
किसी-किसी की आँखों पर
पर जब भी वह किसी को प्राणदण्ड देता है
तो मज़ा जैसे वह रसबेरी का लेता है
रसबेरी यह उसे बहुत-बहुत है भाती
उस असेटियावासी की चौड़ी हो जाती है छाती

1934

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
                    Осип Мандельштам
       Мы живем, под собою не чуя страны…

Мы живем, под собою не чуя страны,
Наши речи за десять шагов не слышны,
А где хватит на полразговорца,
Там припомнят кремлёвского горца.
Его толстые пальцы, как черви, жирны,
А слова, как пудовые гири, верны,
Тараканьи смеются усища,
И сияют его голенища.

А вокруг него сброд тонкошеих вождей,
Он играет услугами полулюдей.
Кто свистит, кто мяучит, кто хнычет,
Он один лишь бабачит и тычет,
Как подкову, кует за указом указ —
Кому в пах, кому в лоб, кому в бровь, кому в глаз.
Что ни казнь у него — то малина
И широкая грудь осетина.
1933 г.