"ठंड से काँप रहा हूँ मैं / ओसिप मंदेलश्ताम" के अवतरणों में अंतर
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कहीं ऐसा तो नहीं | कहीं ऐसा तो नहीं |
14:57, 9 जून 2025 के समय का अवतरण
ठण्ड से काँप रहा हूँ मैं
गूँगा ही बना रहना चाहता हूँ
पर आकाश में नाच रहा है स्वर्ण
मुझे आदेश दे रहा है गाने का
क्लान्त हो
ऐ बेचैन संगीतकार !
प्रेम कर, स्मरण कर और रो
पकड़ वह हल्की गेंद
फेंकी गई है जो
उस मद्धिम झिलमिलाते ग्रह से
कितना वास्तविक है
सम्बन्ध उस रहस्यमय दुनिया के साथ ?
कितनी तीख़ी उदासी है
कितनी भयानक बेचारगी है, नाथ ?
कहीं ऐसा तो नहीं
सदा झिलमिलाने वाला
यह सितारा
टिमटिमा रहा है ग़लती से
मुझे तकलीफ़ दे रहा है
खरोंच रहा है जैसे
जंग लगे अपने बकसुए से
शरीर मेरा सारा
(रचनाकाल : 1912)
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Осип Мандельштам
Я вздрагиваю от холода…
Я вздрагиваю от холода —
Мне хочется онеметь!
А в небе танцует золото —
Приказывает мне петь.
Томись музыкант встревоженный,
Люби, вспоминай и плачь,
И, с тусклой планеты брошенный,
Подхватывай легкий мяч!
Так вот она — настоящая
С таинственным миром связь!
Какая тоска щемящая,
Какая беда стряслась!
Что, если, над модной лавкою
Мерцающая всегда
Мне в сердце длинной булавкою
Опустится вдруг звезда?
1912 г.