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"लपट नष्ट कर रही है / ओसिप मंदेलश्ताम" के अवतरणों में अंतर

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लपट  
 
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नष्ट कर रही है
 
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अब मैं
 
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पत्थर के नहीं
 
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काठ के गीत गाऊँगा
  
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काठ हलका होता है
 
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होता है खुरखुरा
 
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हृदय बलूत वृक्ष का
 
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और चप्पू मल्लाह के लिए
 
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उसके एक टुकड़े में ही
 
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होता है धरा
 
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अच्छी तरह
 
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ठोकिए शहतीर
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हथौड़ा चलाइए
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काठ के स्वर्ग में
  
ठोंकिए शहतीर
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जहाँ चीज़ें होती हैं
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इतनी हलकी
  
हथौड़ा चलाइए
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(रचनाकाल : 1915)
  
काठ के स्वर्ग में
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'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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'''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
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            Осип Мандельштам
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            Уничтожает пламен...
  
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Уничтожает пламень
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Сухую жизнь мою,–
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И ныне я не камень,
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А дерево пою.
  
जहाँ चीज़ें होती हैं
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Оно легко и грубо,
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Из одного куска
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И сердцевина дуба,
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И весла рыбака.
  
इतनी हल्की
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Вбивайте крепче сваи,
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Стучите, молотки,
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О деревянном рае,
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Где вещи так легки!
  
 
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1915
(रचनाकाल : 1915)
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15:28, 9 जून 2025 के समय का अवतरण

लपट
नष्ट कर रही है
मेरे इस जीवन को

अब मैं
पत्थर के नहीं
काठ के गीत गाऊँगा

काठ हलका होता है
होता है खुरखुरा
हृदय बलूत वृक्ष का
और चप्पू मल्लाह के लिए
उसके एक टुकड़े में ही
होता है धरा

अच्छी तरह
ठोकिए शहतीर
हथौड़ा चलाइए
काठ के स्वर्ग में

जहाँ चीज़ें होती हैं
इतनी हलकी

(रचनाकाल : 1915)

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
            Осип Мандельштам
             Уничтожает пламен...

Уничтожает пламень
Сухую жизнь мою,–
И ныне я не камень,
А дерево пою.

Оно легко и грубо,
Из одного куска
И сердцевина дуба,
И весла рыбака.

Вбивайте крепче сваи,
Стучите, молотки,
О деревянном рае,
Где вещи так легки!

1915