भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मंगलवार से शनिवार तक / ओसिप मंदेलश्ताम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम |संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप ...)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
+
{{KKRachna
 
|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
 
|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
 +
|अनुवादक=अनिल जनविजय
 
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
 
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
[[Category:रूसी भाषा]]
 
[[Category:रूसी भाषा]]
 
+
<poem>
 
मंगलवार से शनिवार तक
 
मंगलवार से शनिवार तक
 
 
रेगिस्तान था सिर्फ़
 
रेगिस्तान था सिर्फ़
 
  
 
कितनी लम्बी
 
कितनी लम्बी
 
 
उड़ान थी वह
 
उड़ान थी वह
 
 
सात हज़ार मील की
 
सात हज़ार मील की
 
 
केवल एक उड़ान  
 
केवल एक उड़ान  
 
  
 
अबाबीलों ने
 
अबाबीलों ने
 
 
जल के रास्ते
 
जल के रास्ते
 
 
उड़ान भरी मिस्र के लिए
 
उड़ान भरी मिस्र के लिए
 
  
 
चार दिन तक
 
चार दिन तक
 
 
लटकी रहीं वे
 
लटकी रहीं वे
 
 
आकाश में
 
आकाश में
 
  
 
पर समेट नहीं पाईं
 
पर समेट नहीं पाईं
 
 
अपने पंखों में जल
 
अपने पंखों में जल
  
 +
(रचनाकाल : 1915)
  
(रचनाकाल : 1915)
+
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 +
'''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
 +
            Осип Мандельштам
 +
      От вторника и до субботы…
 +
 
 +
От вторника и до субботы
 +
Одна пустыня пролегла.
 +
О, длительные перелеты!
 +
Семь тысяч верст — одна стрела.
 +
 
 +
И ласточки, когда летели
 +
В Египет водяным путем,
 +
Четыре дня они висели,
 +
Не зачерпнув воды крылом.
 +
 
 +
1915 г.
 +
</poem>

15:32, 9 जून 2025 के समय का अवतरण

मंगलवार से शनिवार तक
रेगिस्तान था सिर्फ़

कितनी लम्बी
उड़ान थी वह
सात हज़ार मील की
केवल एक उड़ान

अबाबीलों ने
जल के रास्ते
उड़ान भरी मिस्र के लिए

चार दिन तक
लटकी रहीं वे
आकाश में

पर समेट नहीं पाईं
अपने पंखों में जल

(रचनाकाल : 1915)

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
            Осип Мандельштам
       От вторника и до субботы…

От вторника и до субботы
Одна пустыня пролегла.
О, длительные перелеты!
Семь тысяч верст — одна стрела.

И ласточки, когда летели
В Египет водяным путем,
Четыре дня они висели,
Не зачерпнув воды крылом.

1915 г.