"ठंड लग रही है मुझे / ओसिप मंदेलश्ताम" के अवतरणों में अंतर
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | {{ | + | {{KKRachna |
|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम | |रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम | ||
+ | |अनुवादक=अनिल जनविजय | ||
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम | |संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
[[Category:रूसी भाषा]] | [[Category:रूसी भाषा]] | ||
{{KKAnthologySardi}} | {{KKAnthologySardi}} | ||
− | + | <poem> | |
− | + | ठण्ड लग | |
− | + | ||
रही है मुझे | रही है मुझे | ||
− | |||
वसन्त पारदर्शी है | वसन्त पारदर्शी है | ||
− | + | पित्रअपोल पहन रहा है | |
− | + | ||
− | + | ||
रोंएदार हरे वस्त्र | रोंएदार हरे वस्त्र | ||
− | |||
छत्रिक-माछ-सी फिसल रही हैं | छत्रिक-माछ-सी फिसल रही हैं | ||
− | |||
निवा नदी की लहरें | निवा नदी की लहरें | ||
− | |||
धीरे-धीरे | धीरे-धीरे | ||
− | |||
घेर रही हैं मेरे मन को | घेर रही हैं मेरे मन को | ||
− | |||
नदी के उस तट पर | नदी के उस तट पर | ||
− | |||
प्रकाश छलकाती दौड़ रही हैं मोटरें | प्रकाश छलकाती दौड़ रही हैं मोटरें | ||
− | |||
जैसे उड़ रहे हों | जैसे उड़ रहे हों | ||
− | |||
लौह-गुबरैले और पतंगे | लौह-गुबरैले और पतंगे | ||
− | |||
आकाश में | आकाश में | ||
− | |||
स्वर्ण-बकसुए से | स्वर्ण-बकसुए से | ||
− | |||
झिलमिला रहे हैं सितारे | झिलमिला रहे हैं सितारे | ||
− | |||
पर कैसे भी वे | पर कैसे भी वे | ||
− | + | ख़त्म नहीं कर पाएँगे | |
− | ख़त्म नहीं कर | + | |
− | + | ||
मरकत से भारी | मरकत से भारी | ||
+ | इस मरकती समुद्री जल को | ||
− | + | शब्दार्थ : | |
+ | पित्रअपोल=लेनिनग्राद, पितिरबूर्ग या पीटर्सबर्ग नगर का एक साहित्यिक नाम । | ||
+ | (रचनाकाल : 1916) | ||
− | + | '''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय''' | |
+ | '''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए''' | ||
+ | Осип Мандельштам | ||
+ | Мне холодно. Прозрачная весна… | ||
+ | Мне холодно. Прозрачная весна | ||
+ | В зеленый пух Петрополь одевает, | ||
+ | Но, как медуза, невская волна | ||
+ | Мне отвращенье легкое внушает. | ||
+ | По набережной северной реки | ||
+ | Автомобилей мчатся светляки, | ||
+ | Летят стрекозы и жуки стальные, | ||
+ | Мерцают звезд булавки золотые, | ||
+ | Но никакие звезды не убьют | ||
+ | Морской воды тяжелый изумруд. | ||
− | + | 1916 г. | |
+ | </poem> |
15:41, 9 जून 2025 के समय का अवतरण
ठण्ड लग
रही है मुझे
वसन्त पारदर्शी है
पित्रअपोल पहन रहा है
रोंएदार हरे वस्त्र
छत्रिक-माछ-सी फिसल रही हैं
निवा नदी की लहरें
धीरे-धीरे
घेर रही हैं मेरे मन को
नदी के उस तट पर
प्रकाश छलकाती दौड़ रही हैं मोटरें
जैसे उड़ रहे हों
लौह-गुबरैले और पतंगे
आकाश में
स्वर्ण-बकसुए से
झिलमिला रहे हैं सितारे
पर कैसे भी वे
ख़त्म नहीं कर पाएँगे
मरकत से भारी
इस मरकती समुद्री जल को
शब्दार्थ :
पित्रअपोल=लेनिनग्राद, पितिरबूर्ग या पीटर्सबर्ग नगर का एक साहित्यिक नाम ।
(रचनाकाल : 1916)
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Осип Мандельштам
Мне холодно. Прозрачная весна…
Мне холодно. Прозрачная весна
В зеленый пух Петрополь одевает,
Но, как медуза, невская волна
Мне отвращенье легкое внушает.
По набережной северной реки
Автомобилей мчатся светляки,
Летят стрекозы и жуки стальные,
Мерцают звезд булавки золотые,
Но никакие звезды не убьют
Морской воды тяжелый изумруд.
1916 г.